करवाचौथ का व्रत कल है और इस मौके पर चलिए आपको बताएं कि इस व्रत का केवल धार्मिक ही नहीं शारीरिक महत्व भी बहुत है. व्रत या उपवास रखना अध्यात्मिकता के साथ ही मानसिक और शारीरिक प्रभाव से भी जुड़ा होता है.
पौराणिक कथाओं में प्रत्येक उपवास का कोई न कोई वैज्ञानिक आधार भी बताया गया है. उन्हें कर्मकांडों से इसलिए जोड़ा गया, ताकि जनसाधारण उपवास के महत्व को समझ सकें और उसे अपनाएं.
उपवास में पांच ज्ञानेंद्रियों और पांच कर्मेंद्रियों पर नियंत्रण करना आता है. कुछ व्रत में खाने-पीने पर रोक नहीं है और उसमे फलहार लिया जा सकता है लेकिन करवाचौथ या तीज जैसे व्रत में पानी भी नहीं पिया जाता है. दोनों ही व्रत का अपना महत्व होता है. वैदिक या आध्यात्मिक व्रत की चर्चा यजुर्वेद के कर्मकांड में भी है.
जानें कि करवाचौथ का व्रत का महत्व
करवाचौथ का व्रत से ठंड की शुुरूआत होनी शुरू हो जाती है और इस व्रत में चंद्रमा की पूजा का भी महत्व है. इन दोनों के मद्देनजर रखते हुए करवाचौथ व्रत वैज्ञानिक आधार पर भी महत्वपूर्ण होता है.
चांद की पूजा से शारीरिक लाभ
शरद पूर्णिमा से ही चांद की चांदनी यानी किरणों में औषधिय तत्वों का प्रभाव बढ़ जाता है इसलिए चंद्रमा की चांदनी का सेवन शरीर और ने़त्र के लिए लाभकारी माना गया है. चंद्रमा मन का कारक होता है और औषधियों को संरक्षित करता है. कार्तिक मास में औषधियों के गुण विकसित अवस्था में होते है. यह गुण उन्हें चंद्रमा से ही प्राप्त होता है. यह व्यक्ति के स्वास्थ्य और निरोगी काया को बनाता है. करवाचौथ के व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान इसी कारण है. इससे आयु, सौभाग्य और निरोगी काया की प्राप्ति होती है.
करवाचौथ व्रत का फायदा
करवाचौथ का व्रत निर्जला होता है और इसका भी महत्व है. निर्जला उपवास करने से शरीर में नई ऊर्जा का प्रसार होता हैं तथा मनुष्य अपने शरीर पर नियंत्रण बना पाने में सक्षम होता हैं. ठंड की शुरुअता में अगर शरीर में जल का संतुलन सही रहे तो कई तरह की बीमारियों से मुक्ति मिलती है. एक तरह से निर्जला व्रत शरीर की शुद्धि होती है. शरीर में जमा सारा पानी यूरिन के जरिये बाहर आता है और जब जल ग्रहण किया जाता है तब नए जल शरीर में प्रवेश करते हैं. एक तरह से ये शरीर को डिटॉक्स करता है. इसलिए करवाचौथ का व्रत धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्व भी रखता है. मौसम के बदलाव के कारण शरीर में धातुओं को संतुलित करने के लिए भी ये व्रत बहुत मायने रखता है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से क्या महत्व है व्रत का
आध्यात्मिक रूप से व्रत रखने से मन और आत्मा को नियंत्रित किया जाता है. मन और आत्मा दोनों नियंत्रण में आ जाते हैं. अलग-अगल तिथियां और अलग-अलग तरह के दिन आपके मन को और आपके शरीर को अलग-अलग तरह से प्रभावित करते हैं. हर व्रत समय के अनुसार शरीर और मन के लिए इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है.


